संविधान दिवस के मौके पर संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारा संविधान हमारे लिए सबसे बड़ा पवित्र ग्रंथ है संविधान को अगर दो सरल शब्दों और भाषा में कहना है तो कहूंगा भारत के लिए गरिमा और भारत के लिए एकता इन्हीं 2 मंत्रों को हमारे संविधान ने साकार किया है नागरिक की सर्वोच्च रखा है और संपूर्ण भारत को एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखा है प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते सालों में हमारे अपने अधिकारों पर बल दिया गया है क्योंकि एक बड़े वर्ग को संविधान में अधिकार संपन्न किया लेकिन आज समय की मांग है कि हमें नागरिक के नाते अपने दायित्व पर मंथन करना ही होगा उन्होंने कहा कि सेवा भाव से कर्तव्य अलग है कर्तव्यों में ही अधिकारों की सुरक्षा है यह बात महात्मा गांधी ने भी कही थी अधिकारों और कर्तव्यों के बीच इस रिश्ते और संतुलन को राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने भी बखूबी समझा था आज देश पूज्य बापू की 150 वी जयंती का पर्व मना रहा है तो उनकी बातें और प्रासंगिक हो जाती हैं इस अवसर पर उन्होंने सबसे पहले मुंबई आतंकी हमले के मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कहा कि कुछ दिन और अवसर ऐसे होते हैं जो हमारे अतीत के साथ हमारे संबंधों को मजबूत करते हैं हमें बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं आज 26 नवंबर का दिन ऐतिहासिक दिन है 70 साल पहले हमने विविध रूप से एक नए रंग के साथ संविधान को अंगीकृत किया था प्रधानमंत्री ने कहा कि 26 नवंबर हमें दर्द भी पहुंचाता है जब भारत की महान परंपराओं हजारों साल की सांस्कृतिक विरासत को आज ही के दिन मुंबई में आतंकवादी मंसूबे में छलनी करने का प्रयास किया था
हमारा संविधान हमारे लिए पवित्र ग्रंथ- मोदी